शरीर के सात चक्रों एवं कुंडलिनी को कैसे जाग्रत करे | 7 CHAKRAS OF HUMAN BODY | सात चक्र जागृत करने का मंत्र

सबसे पहले बात करेंगे सात चक्र के नाम के बारे में 

1.Root Chakra (Muladhara)                  2.Sacral Chakra (Swadhisthana)

3.Solar Plexus Chakra (Manipura)      4.Heart Chakra (Anahata)

5.Throat Chakra (Vishuddha)               6.Third-Eye Chakra (Ajna)

7.Crown Chakra (Sahasrara) 

 

सात चक्र और उनके बीज मंत्र:- 

हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं! मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र , अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र, हमारी सारी ऊर्जा मूलाधार चक्र में होती है, मूलाधार चक्र से जब हम इस ऊर्जा को सहस्त्रार चक्र तक लाते हैं तो हमारे अंदर दिव्य शक्तियों का जागरण होता है, और  हम साधारण से आसाधारण स्वरूप में आते हैं, इन सारे चक्रों को जागृत करने के लिए या सक्रिय करने के लिए हमें ध्यान के  मार्ग से जाना होता है, ध्यान को जब हम अपने जीवन में उतारते हैं तो हमारे अंदर अद्भुत परिवर्तन आते हैं वह परिवर्तन हमें अपने सफल जीवन को आगे बढ़ने के लिए और हमारी आत्मा को नया स्वरूप देने के लिए उपयोगी होता है, इन चक्रों के सक्रिय होते ही हम साधारण से असाधारण व्यक्तित्व में प्रवेश करते हैं, जैसे जैसे हम मूलाधार में स्थितीत उर्जा को सहस्त्रार चक्र तक लाते हैं, वैसे वैसे हमारे जीवन में परिवर्तन घटित होने लगता है, जैसे ही हम इस दिव्य ऊर्जा को ऊपर की तरफ उठाते हैं हमारे व्यक्तित्व में चमत्कारी बदल होने लगते,  हैं। इन सभी सात चक्रों की विशेषताएं और उनके बीज मंत्र नीचे विस्तार से दीये गए हैं। 

1) मूलाधार चक्र:-(Root Chakra (Muladhara)

Root Chakra (Muladhara)  Root Chakra की फोटो  Muladhara Chakra ki Photo  Muladhara chakra kaise Jagrit kare

मूलाधार चक्र के बारे में :- यह हमारे शरीर का पहला चक्र होता है, यह गुप्तांग और गुदा के  बीच में स्थित होता है, इसका रंग लाल होता है, और ये (4)चार पंखुड़ियों वाला कमल होता है। इसका मुख्य विषय कामवासना होता है, यह काम वासना का केंद्र बिंदु माना जाता है, यही हमारी कामवासना होती है ,यह काम वासना से निगाडित तो होता है, इस चक्र में हमें ,  "मैं हुँ" मैं शरीर हूं इसका बोध होता है। इस चक्र से हमें शरीर का बोध होता है, हमें हमारे देह का बोध होता है। इसमें हम वासना से और लालसा से घिरे हुए होते हैं, इसमें हमें सिर्फ देह ही दिखती है, जीवन में ज्यादा से ज्यादा लोग इसी चक्र में जीते हैं और इसी चक्र में उनकी मृत्यु होती है, वह इस चक्र के ऊपर उठने का प्रयास नहीं करते हैं, वह बस कामवासना में जीते हैं और कामवासना में ही मरते हैं, जिससे उनकी आत्मा का विकास नहीं हो पाता है। इस चक्र में बस उनके अंदर "मैं शरीर हूं" बस यही भाव होता है। इस चक्र का बीज मंत्र "लं" है। इस बीज मंत्र का उच्चारण करने से इस चक्र को सक्रिय किया जा सकता है  और उस ऊर्जा को दूसरे चक्र तक लाया जा सकता है। इसके निरंतर उच्चारण से  ये चक्र सक्रिय बन जाता है।
 

2) स्वाधिष्ठान चक्र Sacral Chakra (Swadhisthana)

Sacral Chakra (Swadhisthana)  Swadhisthana की फोटो  Swadhisthana ki Photo  Swadhisthana chakra kaise Jagrit kare

2) स्वाधिष्ठान चक्र के बारे में :- यह हमारे शरीर का दूसरा चक्र है, कमर के पीछे त्रिकोणी हड्डी में जो चक्र स्थित है, इसकी (6 )छह पंखुड़िया है। और यह नारंगी रंग का होता है, इसका मुख्य विषय है, व्यसन हिंसा, संबंध, इसमें हमें अपने शरीर के अलावा मन का एहसास होता है, इसमें हम चीजों को महसूस कर सकते हैं, इस चक्र के जाग्रत होने पर क्रूरता आलस्य अहंकार प्रमाद अविश्वास आदि दुर्गुणों का का विनाश होता है, और हम शुद्ध स्वरूप में आने लगते हैं, हमारी सारी वासना संपुष्ट होने लगती है। इस चक्र का बीज मंत्र "वं" हैं। इस बीज मंत्र का उच्चारण करने से ये चक्र सक्रिय होता है।
 

3) मणिपुर चक्र Solar Plexus Chakra (Manipura)

Solar Plexus  मणिपुर चक्र की फोटो  मणिपुर चक्र ki Photo  मणिपुर चक्र kaise Jagrit kare   Sacral Chakra (Swadhisthana)  Solar Plexus चक्र की फोटो  Solar Plexus ki Photo  Solar Plexus kaise Jagrit kare

3) मणिपुर चक्र के बारे में : यह हमारे शरीर का तीसरा चक्र है, यह चक्र हमारे पाचन तंत्र से संबंधित है, चक्र हमारे नाभि में स्थित होता है, यह चक्र हमारे शरीर में ग्रहण किये हुए  खाने को ऊर्जा के रूप में रूपांतरित करने का महत्वपूर्ण काम करता है, ये 10 पंखुड़ियों का यह कमल होता है, इसका का रंग पीला होता है, इसमें हमे हृदय महसूस होता है, हमारे अंदर विचार शून्यता आती है,इस चक्र के सक्रिय होने से हमारे अंदर आत्मनिर्भरता, आत्मशक्ति आत्म सम्मान, और आत्मिक गुनो से हम परिपूर्ण बनते हैं, हमारे मनोबल में आत्म बल में रुद्धि होती है, हम बहुत से विकारों से मुक्त होते हैं, जैसे कि तृष्णा, लालच ,भय, चुगली,लज्जा, मोह, माया, कपट, भीति, ऐसी बहुत सी दुर्गुणों से हम मुक्त होते हैं, इस चक्र के जागृत होने से हम सामाजिक कार्य में सफल बनते हैं लोग हमें मान सम्मान इज्जत, देने लगते हैं, हमारे अंदर से सम्मान बढ़ता है,हम किसी भी कार्य को लीडरशिप की तरह आगे बढ़ाने लगते हैं। इस चक्र का बीज "रं" हैं। इसके निरंतर उच्चारण से ये चक्र सक्रिय बन जाता है। 
 

4) अनाहत चक्र Heart Chakra (Anahata)

Heart Chakra  Heart Chakra की फोटो  Heart Chakra ki Photo  Heart Chakra  kaise Jagrit kare   Sacral Chakra (Swadhisthana)  Heart Chakra (Anahata) चक्र की फोटो

4) अनाहत चक्रके बारे में :- यह चक्र हमारे सीने में स्थित है। इस चक्र के जागृत होने से हम तनाव से मुक्त हो सकते हैं, यह (12)बारह पंखुड़िया का कमल है, इसका रंग हरा या गुलाबी होता है, इसका मुख्य विषय भावनाएं ,प्रेम ,समर्पण, करुणा दया ममता, कल्याण निस्वार्थता, ईन गुणों से ये चक्र होता है, यह आत्मिक स्वरूप से समर्पण को नियंत्रित करता है, इसके सक्रिय होने से हम आत्मा को महसूस  करने लगते है, आत्मा को हम महसूस कर सकते हैं, हम प्रसन्न रहने लगते हैं, हमारे मन के सारे विकार नष्ट होने लगते हैं, हमारे अंदर जागरूकता और इमानदारी honesty बढ़ने लगती है, हम खुद से प्यार करने लगते हैं, हम दूसरों को निस्वार्थ भावना से प्रेम करने लगते हैं, हमारे अंदर सभी जीव जंतु प्राणी पशु पक्षी पेड़ पौधे, सभी के लिए एक समानता बढ़ने लगती है और हमारे अंदर निस्वार्थी भावनासे प्रेम विकसित होने लगता है, अहंकार का विनाश होने लगता है, इसका बीज मंत्र "यं" हैं।
 

5) विशुद्ध चक्र Throat Chakra (Vishuddha)

Throat Chakra (Vishuddha)  Throat Chakra (Vishuddha) की फोटो  Throat Chakra (Vishuddha) ki Photo  Throat Chakra (Vishuddha) kaise Jagrit kare   Throat Chakra (Vishuddha)  Throat Chakra (Vishuddha) फोटो

 5) विशुद्ध चक्रके बारे में :- ये चक्र गले के अंदर स्थित है, यह 16 पंखुड़ियों से बना हुआ यह कमल है। इसका रंग हल्का निले जैसा आसमान यानी sky-blue जैसा होता है, इसका विषय विशुद्ध भावना भावनात्मक रूप से स्वतंत्रता और हमारी वाणी में यह विकास कराता है, इस चक्र के जाग्रत होने से हमारे अंदर आत्म बल बढ़ जाता है, हमारी वाणी शुद्ध और पवित्र दूसरों को आकर्षित करने वाली लगती है, माता सरस्वती की पूजा करने से भी इस चक्र को जागृत किया जा सकता है,इसके सक्रिय होने से हम बात करने में सक्षम बन जाते हैं, हम अपनी मन की बातों को दूसरों को बिना किसी हिचकिचाहट से करने लगते हैं, दूसरों को समझाना हमारे लिए आसान हो जाता है, हमारी बोली लोगों को आकर्षित करती है , हम अपनी भाषा से दूसरों को शुद्ध और पवित्र तरीके से समझा सकते हैं, हमारी वाणी में अत्यंत आकर्षक आने लगता है, चित्र का बीज मंत्र "हं" हैं।
 

6) आज्ञा चक्र Third-Eye Chakra (Ajna)

Third-Eye Chakra (Ajna)  Third-Eye Chakra (Ajna)की फोटो  Third-Eye Chakra (Ajna) ki Photo  Third-Eye Chakra (Ajna) kaise Jagrit kare   Third-Eye Chakra (Ajna)  Third-Eye Chakra (Ajna) फोटो

6) आज्ञा चक्र के बारे में : हमारे शरीर में छह नंबर का यह चक्र होता है, यह चक्र दोनों भुवाई के बीच में स्थित होता है, यह (2) दो पंखुड़ियों वाला कमल होता है, और इसका रंग सफेद नीले या गहरे नीले रंग जैसा होता है, जैसे कि nevy ब्लू जैसा होता है, इसका मुख्य विषय उच्च तरह के विचारों को और निम्न स्तर के विचारों को संतुलित करना होता है, भावनात्मक रूप से यह आज्ञा चक्र शुद्ध रूप से और  शुद्ध ज्ञान के स्तर से जुड़ा होता है, इसमें परमात्मा की झलक हमें दिखाई देती है, इस चक्र के सक्रिय होने से, हम अज्ञानता से और भय से मुक्त होते हैं, हमारे दोनों आंखों की भुकुटी के बीच में यह चक्र स्थित होता है, जिसका यह चक्र सक्रिय होता है वह बौद्धिक रूप से सिद्धियां और शक्तियों का स्वामी बन जाता है, बौद्धिक रूप से संपन्न संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है, उसके अंदर अनंत सिद्धियां और शक्तियों का निवास होने लगता है , इस चक्र के जागृत होने से हमें सभी तरह की सभी शक्तियां और सिद्धिया हमें मिलती है। इसका बीज मंत्र "ॐ" हैं। ॐ के निरंतर उच्चारण से यह चक्र सक्रिय होता है।
 

7) सहस्त्रार चक्र Crown Chakra (Sahasrara)

Crown Chakra (Sahasrara)  Crown Chakra (Sahasrara)की फोटो  Crown Chakra (Sahasrara) ki Photo  Crown Chakra (Sahasrara) kaise Jagrit kare   Crown Chakra (Sahasrara)  Crown Chakra (Sahasrara) फोटो

7) सहस्त्रार चक्र: यह चक्र हमारे शरीर में सातवे स्थान पर है, यह बहुत ही शुद्ध चेतना का चक्र माना जाता है, यह मस्तिष्क के, ठीक बीच में, ऊपर की ओर स्थित होता है, यहां (1000) हजारों पंखुड़ियों से बना हुआ कमल है, और यह सर के शीर्ष पर स्थित है , इसका बैगनी रंग होता है, यह चक्र अंतरिक बुद्धि और शरीर की मृत्यु से जुड़ा होता है, इसके सक्रिय होने से हमारे अंदर बहुत परिवर्तन आता है, और हम हर जीव जंतु हर चीजों को परमात्मा के रूप में देखने लगते हैं, हमें हर जगह परमात्मा का ही रूप दिखाई देने लगता है, हर तरफ परमात्मा की झलक दिखाई देने लगती है, हमारी  हर सांस में परमात्मा की ही अनुभूति हमें होने लगती है, मंत्र में ,जाप में,और  पूजा-पाठ में  हम परमात्मा को ही महसूस करने लगते हैं, इस चक्र के जाग्रत होती है हमारे अंदर परम शांति का अनुभव होता है, इस चक्र के सक्रिय से मनुष्य परमानंद को प्राप्त कर लेता है, उसको परम शांति परम आनंद प्राप्त होता है, और उसी में वह मगन होने लगता है, और उसका  संसार से और किसी भी चीज से कोई मोह नहीं बचता है। वह आनंदमय शरीर में स्थित हो जाता है। परम शांति में और मौन में ही रहने लगता है। और वो मुक्ति को पा लेता हैं।इसका बीज मंत्र "ॐ" है।
 
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